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ભારતની વિશ્વને ભેટ.

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ભારતની વિશ્વને ભેટ.  1. खगोल विज्ञान के जनक: आर्यभट्ट;  कार्य - आर्यभट्टीयम् ।  2. ज्योतिष के जनक: वराहमिहिर, कार्य;  पंचसिद्धांतिका, बृहत् होराशास्त्र ।  3. सर्जरी के जनक: चरक और सुश्रुत, कार्य: चरकसंहिता व अन्य ।  4. शरीर रचना विज्ञान  (एनाटॉमी) के जनक: पतंजलि, कार्य: योगसूत्र ।  5. अर्थशास्त्र के जनक: चाणक्य, कार्य: अर्थशास्त्र ।  6. परमाणु सिद्धांत के जनक: ऋषि कणाद, कार्य: कणाद सूत्र ।  7. वास्तुकला के जनक : विश्वकर्मा, कार्य: सूर्यसिद्धांतिका ।  8. वायुगति शास्त्र (एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी) के जनक : भारद्वाज ऋषि, कार्य : विमान शास्त्र ।  9. चिकित्सा के जनक: धन्वंतरि, पहले आयुर्वेद का प्रचार किया ।  10. व्याकरण के जनक: पाणिनि, कार्य: व्याकरण दीपिका, अष्टाध्यायी ।  11. नाट्यशास्त्र का जनक: भरतमुनि, कार्य: नाट्यशास्त्र ।  12. काव्य परम्परा के जनक (साहित्य): कृष्ण द्वैपायन (वेदव्यास);  कार्य - महाभारत, अष्टादशा पुराण ।  13. नाट्यलेखन के जनक: कालिदास, कार्य: मेघदूतम, रघुवंशम, कुमारसम्भवम आदि।  14. गणित के जनक: भास्कर द्वितीय, कार्य: लीलावती ।  15. युद्ध कल

ભારતીય ગણિતમાં પાઈ

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भारतीय गणित में पाई भारत में ई. पूर्व ६०० में शुल्ब सूत्रों (संस्कृत ग्रन्थ और वेद जो गणितिय गणनाओं में बहुत पहुँचे हुए हैं।) में π को (९७८५/५५६८)२ ≈ ३.०८८ लिखा गया है। ई. पूर्व १५९ अथवा शायद इससे भी पहले में भारतीय स्रोत π को {\displaystyle \scriptstyle {\sqrt {10}}} {\displaystyle \scriptstyle {\sqrt {10}}} ≈ ३.१६२२ लिखते थे। आर्यभट ने निम्नलिखित श्लोक में पाई का मान दिया है- ''चतुराधिकं शतमष्टगुणं द्वाषष्टिस्तथा सहस्त्राणाम्। अयुतद्वयस्य विष्कम्भस्य आसन्नौ वृत्तपरिणाहः॥'' १०० में चार जोड़ें, आठ से गुणा करें और फिर ६२००० जोड़ें। इस नियम से २०००० परिधि के एक वृत्त का व्यास ज्ञात किया जा सकता है। ( (१००+४)*८+६२०००/२००००=३.१४१६ ) इसके अनुसार व्यास और परिधि का अनुपात ((४ + १००) × ८ + ६२०००) / २०००० = ३.१४१६ है, जो दशमलव के पाँच अंकों तक बिलकुल टीक है। ** इसके अनुसार Circumference और Diameter का अनुपात ((४ + १००) × ८ + ६२०००) / २०००० = ३.१४१६ है, जो दशमलव के पाँच अंकों तक बिलकुल टीक है। शंकर वर्मन ने सद्रत्नमाला में पाई का मान निम्नलिखित श्लोक में दिया है,